Bhagwati charan verma biography hindi song download
भगवती चरण वर्मा
भगवतीचरण वर्मा (३० अगस्त१९०३ - ५ अक्टूबर1981) हिन्दी साहित्यकार थे। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। चित्र लेखा उपन्यास मे भगवती वर्मा ने पाप और पुण्य का पता लगाने आदि का वर्णन किया है Uncontrolled
परिचय
[संपादित करें]भगवती चरण वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शफीपुर गाँव में हुआ था। वर्माजी ने प्रयागराज से बी॰ए॰, एल॰एल॰बी॰ की डिग्री प्राप्त की और प्रारम्भ में कविता likhna chalu kiya। फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात हुए। 1933 के करीब प्रतापगढ़ के राजा साहब भदरी के साथ रहे। 1936 के लगभग फिल्म कारपोरेशन, कलकत्ता में कार्य किया। कुछ दिनों ‘विचार’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन-संपादन, इसके बाद बंबई में फिल्म-कथालेखन तथा दैनिक ‘नवजीवन’ का सम्पादन, फिर आकाशवाणी के कई केंन्दों में कार्य। बाद में, 1957 से मृत्यु-पर्यंत स्वतंत्न साहित्यकार के रूप में लेखन। ‘चित्रलेखा’ उपन्यास पर दो बार फिल्म-निर्माण और ‘भूले-बिसरे चित्र’ साहित्य अकादमी से सम्मानित। पद्मभूषण तथा राज्यसभा की मानद सदस्यता प्राप्त।
कार्यक्षेत्र
[संपादित करें]प्रारंभ में कविता लेखन फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात। १९३६ में फ़िल्म कारपोरेशन कलकत्ता में कार्य। विचार नामक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन संपादन। इसके बाद बम्बई में फ़िल्म कथा लेखन तथा दैनिक नवजीवन का संपादन। आकाशवाणी के कई केन्द्रों में कार्य। १९५७ से स्वतंत्र लेखन। 'चित्रलेखा' उपन्यास पर दो बार फ़िल्म निर्माण और भूले बिसरे चित्र पर साहित्य अकादमी पुरस्कार। पद्मभूषण तथा राज्यसभा की मानद सदस्यता प्राप्त।
भगवती चरण वर्मा और हिन्दी साहित्य
[संपादित करें]हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा। ईश्वर के साथ साथ मानव को समान महत्त्व दिया गया। भावना के साथ-साथ विचारों को पर्याप्त प्रधानता मिली। पद्य के साथ-साथ गद्य का भी विकास हुआ और छापेखाने के आते ही साहित्य के संसार में एक नई क्रांति हुई। आधुनिक हिन्दी गद्य का विकास केवल हिन्दी भाषी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहा। पूरे देश में और हर प्रदेश में हिन्दी की लोकप्रियता फैली और अनेक अन्य भाषी लेखकों ने हिन्दी में साहित्य रचना करके इसके विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान किया।
प्रकाशित पुस्तकें
[संपादित करें]उपन्यास
[संपादित करें]- पतन (1928),
- चित्रलेखा (1934),
- तीन वर्ष,
- टेढ़े-मेढ़े रास्ते (1946) - इसमें मार्क्सवाद की आलोचना की गई थी।
- अपने खिलौने (1957),
- भूले-बिसरे चित्र (1959),
- वह फिर नहीं आई,
- सामर्थ्य और सीमा (1962),
- थके पाँव,(1964)
- रेखा,
- सीधी सच्ची बातें,
- युवराज चूण्डा,
- सबहिं नचावत राम गोसाईं, (1970)
- प्रश्न और मरीचिका, (1973)
- धुप्पल,
- चाणक्य
कहानी-संग्रह
[संपादित करें]- दो बांके 1936, मोर्चाबंदी, इंस्टालमेंट, मुगलों ने सल्तल्त बख्श दी
कविता-संग्रह
[संपादित करें]- मधुकण (1932)[1]
- तदन्तर दो और काव्यसंग्रह- 'प्रेम-संगीत' और 'मानव' निकले।
नाटक
[संपादित करें]- वसीहत
- रुपया तुम्हें खा गया
- सबसे बड़ा आदमी
संस्मरण
[संपादित करें]साहित्यालोचन
[संपादित करें]भगवती चरण वर्मा की कुछ रचनाएँ
[संपादित करें]चित्रलेखा
[संपादित करें]मुख्य लेख: चित्रलेखा (उपन्यास)
चित्रलेखा न केवल भगवतीचरण वर्मा को एक उपन्यासकार के रूप में प्रतिष्ठा दिलाने वाला पहला उपन्यास है बल्कि हिन्दी के उन विरले उपन्यासों में भी गणनीय है, जिनकी लोकप्रियता बराबर काल की सीमा को लाँघती रही है।
चित्रलेखा की कथा पाप और पुण्य की समस्या पर आधारित है-पाप क्या है?
उसका निवास कहाँ है ? इन प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए महाप्रभु रत्नांबर के दो शिष्य, श्वेतांक और विशालदेव, क्रमश: सामंत बीजगुप्त और योगी कुमारगिरि की शरण में जाते हैं। और उनके निष्कर्षों पर महाप्रभु रत्नांबर की टिप्पणी है, ‘‘संसार में पाप कुछ भी नहीं है, यह केवल मनुष्य के दृष्टिकोण की विषमता का दूसरा नाम है। हम न पाप करते हैं और न पुण्य करते हैं, हम केवल वह करते हैं जो हमें करना पड़ता है।[2]’’
टेढ़े-मेढ़े रास्ते
[संपादित करें]टेढ़े मेढ़े रास्ते सन् 1948 में प्रकाशित उनका प्रथम वृहत उपन्यास था जिसे हिन्दी साहित्य के प्रथम राजनीतिक उपन्यास का दर्जा मिला। टेढ़े-मेढ़े रास्ते को उन्होंने अपनी प्रथम शुद्ध बौद्धिक गद्य-रचना माना है। इसमें मार्क्सवाद की आलोचना की गयी है। इसके जवाब में रांगेय राघव ने 'सीधा-सादा रास्ता' लिखी थी।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑हिन्दी साहित्य कोश भाग-२ (नामवाची शब्दावली) पृ-400
- ↑"पुस्तक.ऑर्ग".Farah khan husband account of abraham
मूल से 4 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 जनवरी 2014.